कश्मीर मे होहार (विश्वकर्मा वंशीय)
कश्मीर मे होहार (विश्वकर्मा वंशीय) राजाओं का शासन रहा 157 वर्ष तक राजतंरगिणी ग्रन्थं(राजाओं की धारा) जिसकी रचना कल्हणनी ने की है। इसमे बारहवीं सदी के कश्मीरी राजाओं के इतिहास का विवरण है तथा यह ऎतिहासिक लिखने का सबसे अच्छा उदाहरण है, इसके चौथे, पाँचवें छ्टे तरंगो मे होहार वंश का इतिहास वर्णित है।
कश्मीर मे होहार (विश्वकर्मा वंशीय)
कश्मीर मे होहार (विश्वकर्मा वंशीय) राजाओं का शासन रहा 157 वर्ष तक राजतंरगिणी ग्रन्थं(राजाओं की धारा) जिसकी रचना कल्हणनी ने की है। इसमे बारहवीं सदी के कश्मीरी राजाओं के इतिहास का विवरण है तथा यह ऎतिहासिक लिखने का सबसे अच्छा उदाहरण है, इसके चौथे, पाँचवें छ्टे तरंगो मे होहार वंश का इतिहास वर्णित है।
यह हिन्दू शासन कश्मीर राज्य मे सन 1003 से 1159 तक चला जो हिन्दू शासन कहलाया। लोहार वंश के लगातार आठ राजा हुए जो क्रमशः संग्राम राज अनन्त कलश हर्ष उच्छ्ल सुस्सल शिक्षाचर तथा यसिंह आदि थे जिन्होने मिलकर 157 वर्ष तक जम्मू- कश्मीर मे शासन किया।
कल्हण जाति से ब्राह्मण था उसके पिता का नाम चम्पक था। चम्पक लोहार वंशीय राजा हर्ष के मन्त्री थे तथा कल्याण हर्ष का आश्रित कवि था। कल्याण मे राजातरिणी ग्रंथ की जब रचना की उस समय लिहार वंशीय राजा संशीय जयंसिह का शासन काल कश्मीर मे चल रहा था।
जयंसिह का शासन काल सन 1127 से 1159 तक चला।यह लिहार वंश का अन्तिम शासक था। राजतरंगिणी ग्रंथ मे अपेक्षाकृत प्रमाणिक वर्णन इन राजाओं का मिलता है। इसके अलावा पुरातात्विक साक्ष्योंका भी प्रयोग किया।
हिन्दू शासन लिहार वंश की स्थापना कश्मीर मे रानी दिदृदा के भाई संग्राम राज ने की। इनका शासन काल सन 1003 से 1028 तक चला। संग्राम राज के बाद अनन्त राजा हुए उन्होने सामन्तो के विद्रोह को दबाया तथा मुसलमानो के आक्रमण का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया। उनकी धर्म निष्ठ पत्नी एवं रानी सूर्यमती ने शासन को सुधारने मे राजा अनन्त की बहुत सहायता की।
राजा अनन्त का उत्तराधिकारी राजा कलश हुआ। उन्होने अपने जीवन के अन्तिम दिनों तक योग्यता पूर्वक शासन किया। राजा कलश के पुत्र हर्ष का नाम उल्लेखनीय है। वह स्वयं विद्वान कवि एवं कई भाषाओं का ज्ञाता था। वह अपनी विद्धता के कारण अन्य राजाओं मे भी बडा प्रसिद्ध था। सन 1109 मे उसका स्वर्गवास हो गया।
हर्ष के बाद उच्छ्ल राजा बना एवं छ्टा राजा सुस्सल के बाद भिक्षाचर तहा अन्तिम राजा जयसिंह ने यवनों को परजित कर सन 1159 ई0 राज्य किया।
-सतीश शर्मा पत्रकार ,ककरौली