हम कौन है?
हमारी जाति जांगिड ब्राह्मण है। जब भी यदि कोई हमारी जाति पूछे तो हमे हमारी जाति जांगिड ब्राह्मण बताना चाहिये। प्रायः साधारण पढे लिखे जाति बंधु अपने को सुथार जाति का मान कर परिचय है। सुथारी कार्य हिन्दु भी करता है लेकिन सुथार जाति नही व्यवसाय है। सुथारी कार्य हिन्दु भी मुसलमान भी वे व्यवसाय के आधार पर सुतार या खाती आदि के नाम से जाने जाते है, अर्थात व्य्वसाय का सम्बन्ध जाति से नही है। अत: हमारी जाति कर्म धर्म के अनुसार जांगिड ब्राह्मण है।
हम कौन है? हमारी जाति क्या है?
अत: हमारी जाति कर्म धर्म के अनुसार जांगिड ब्राह्मण है।
किसकी सन्तान है ?
हम अंगिराऋषि की संतान है। अंगिराऋषि ब्राह्मार्षि थे। दिग्विजयी प्रतापी होने के कारण इन्हे जांगिड कह गया । अंगिरा ऋषि(अंगिरसो) के आश्रम जांगल देश मे थे इसलिये भी अंगिरस स्थान के नाम से जांगिड कहलाये।
आदि शिल्पाचार्य भुवन पुत्र विश्वकर्मा देवों के शिल्पी होने से जाँगिड कहलाये। विश्वकर्मा जी अंगिराकुल के होने के कारण हमारी वंश परम्परा के पूज्यनीय एवं हमारे प्रेरक गुरु और भगवान है।
इसका क्या प्रमाण है?
प्रायः व्यवसाय के आधार पर दूसरी जाति के लोग जांगिड ब्राह्मण समाज को शंका की निगाह से देखते है और यहां तक आरोप लगाते है कि ये अपनी जाति छिपाते है। ऎसे समय मे अपने आपको उच्च ब्राह्म्ण होने के निम्न प्रमाण दीजिये:-
1.वेद प्रमाण:- अथर्ववेद के 19 मे कांड सूक्त 34 मंत्र 1 मे लिखा है "अंगिराअसी जांगिड अर्थात अंगिरा जाति का दूसरा नाम जांगिड है। हम उसी ऋषि की सन्तान (वंश) होने के कारण ब्राह्मण है। अंगिरा ऋषि ही नही ब्राह्माऋषि थे इसलिये उच्च ब्राह्मण कुल के है।
2. ऎतिहासिक प्रमाण:- दिल्ली से 11 मील की दूरी पर कुतुबमीनार के पास सती मठ मे लगा हुआ 460 वर्ष पुराना शिलालेख मिला है। इस पुरावशेष मे जांगिड ब्राह्मण वंश की सतियों का वेश परिचय खुदा हुआ है।
3.पं. परसुरामजी शास्त्री विधा सागर प्रख्यात पुस्तक "ब्राह्मण वंशोतिवृतम" मे जांगिड ब्राह्मण उत्पति का विवरण दिया है, जिसमे जांगिड ब्राह्मण माना है
4. गोडपदाचार्य विष्णु श्याम बलदेवजी ने विवेकानन्द जी की रचित पुस्तक "गौड ब्राह्माणोत्पति" के तीसरे भाग मे जांगिड जाति के ब्राह्मण स्वीकार किया है।
5. व्यवस्था पत्र -सम्पूर्ण भारत की 41 विख्यात पंडितो ने संवत१९७७ की दीपावली को काशी मे यह निर्णय लिया कि जांगिड ब्राह्मण जाति वास्तव मे ब्राह्मण है।
उपरोक्त प्रमाणों के अलावा"ब्राह्मण उत्पति मार्तण्ड" नामक पुस्तक के 51 वें प्रकरण मे 562 वें पृष्ठ पर पांचाल ब्राह्मण के बारे मे लिखा हुआ उसके आचार-विचार कर्म तथा पांचाल के भेदादि का वर्णन किया गया है। देशान्तरी नाम से भी कुछ ब्राह्मण बोले जाते है। जैसे कि कन्नौज क्षेत्र के रहने वाले ब्राह्मणों कन्नौजिया ब्राह्मन मिथिला पुरी के रहने वाले मैथिल ब्राह्मण सारस्वत नदी के आस-पास सारस्वत ब्राह्मण मथुरा के रहने वाले मथुरिया ब्राह्मण। इसी प्रकार पांचाल देश के रहने वाले ब्राह्मणों को पांचाल ब्राह्मण कहा गया है जैसा राजा द्रुपद पांचाल नरेश कहा गया है। उछालक मुनि (आरुणी) को पांचाल नाम से पुकारा गया है। पांचाल क्षेत्र गंगा यमुना के दो आय बरेली के पास रामनगर अहिछ्त्र तथा कपिल्य क्षेत्र है, इसका वर्णन भारतीय इतिहास मे पाया गया है।