विश्वकर्मा जी के युगावतार
भगवान विश्वकर्मा जी के युगावतार प्रमुख रुप से हमारे शास्त्रों और धर्म ग्रन्थो मे जिन विश्वकर्माओं का प्राय: उल्लेख हुआ है और जो प्रसिद्ध है उनका विवरण इस प्रकार है-

1. जगत रचयिता विश्वकर्मा -'परमेश्वर'- जिसने समस्त भूतात्मक सजीव देहों को बनाया है वह अजर अमर शुद्ध नस नाडियों के बंधनों से मिक्त है, जीवन मरण से दूर है क्लेश कर्म आदि व्यवहार से रहित है। इसलिए उस ईश्वर को भी विश्वकर्मा कहते है। जिसने समस्त ब्रह्माण्ड को रचा है जिसका मुख्य नाम: ओम है वह विराट विश्वकर्मा है।
2. त्वष्टा काचिक विश्वकर्मा परमेश्वर ने सृष्टिप्रारंभसमय अर्थात अनैथुनी सृष्टि मे अग्रि वायु आदित्य और अंगिरा आदि चार ऋषियों को उत्पन्नकिया और उन्ही चार ऋषियों की आत्मा मे चारों वेदों का अलग-अलग ज्ञान दिया ।इसी प्रकार परमेश्वर ने आदि सृष्टि मे संसार की रक्षा अर्थात विश्व मे शिल्प कला कौशल की रचना हेतु शिल्प शास्त्र का प्रवर्तक त्वष्टा शिल्पाचार्य महर्षि विश्वकर्मा से उत्पन्न किया। उन्हे ब्रह्म भी कहते है इसका प्रमाण वेद अरण्यक ग्रन्थों और उपनिषदों मे मिलता है। अमैथुनी सृष्टि के त्वष्टा प्रारंम्भ के त्वष्टा शिल्पाचार्य महर्षि को विश्वकर्मा सम्बोधन करते है।
3. भौवन विश्वकर्मा- जो आदि के बाद मौथुनी सृष्टि मे हुए जो आदि के बाद मौथुनी सृष्टि मे हुए है। आत ऋषि का पुत्र भौवन विश्वकर्मा कहलाया है इनका वर्णन ऋग्वेदीय ब्राह्मण ग्रन्थों मे मिलता है।ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 81 और 81 के मंरेओं का अर्थात 1-14 का दृष्टा भी यही भुवन्पुत्र विश्वकर्मा है इनका जन्म मागशिर(आगहन) शुक्ला प्रतिपदा को हुआ था कहा गया है कि मन्वादि पांच पुत्र इन्ही की सन्तान है।
4. विश्वकर्मा विश्वरूपो:-नाम की दो स्त्रियां थी। पुलौ मी से शुक्राचार्य उत्पन्न हुआ तो दैत्यों का गुरु कहलाया शुक्राचार्य की स्त्री शतपर्वा से त्वष्टा प्रजापति का जन्म हुआ त्वष्टा रचित भृगु संहिता तथा भृगु मत दो प्रसिद्ध ग्रन्थ है। उन पुस्तकों मे इनका वर्णन है इनका जन्म वैशाख शुक्ला द्वितीयाको हुआ।
5. अंगिरस विश्वकर्मा :- मरीचि ऋषि की पुत्री स्वरुपा अंगिरा ऋषी की पत्नी से बृहस्पति नाम का पुत्र हुआ तथा ब्रह्मावादिनी नाम की कन्या उत्पन्न हुई इस कन्या का विवाह धर्म ऋषि के आठवे पुत्र प्रभास वसुसे उत्पन्न हुआ। उस वसु प्रभास से जो पुत्र उत्पन्न हुआ। उसका नाम विश्वकर्म हुआ। इसका विस्तृत वर्णन महाभारत मे उपलब्ध है। इसका जन्म भाद्र पद शुक्ला प्रतिपदा को हुआ था।
6. आचार्य विश्वकर्मा :- उनका वर्णन वायु पुराण मे मिलता है। इनका जन्म कार्तिक शुक्ला पूर्णमाशी उनका वर्णन वायु पुराण मे मिलता है। इनका जन्म कार्तिक शुक्ला पूर्णमाशी को हुआ था।
7. जगत गुरु विश्वकर्मा :- इनका वर्णन सकलाधिकार ग्रन्थ" मे उपलब्ध है। इनका जन्म फाल्गुन की पूर्णमाशी को हुआ था।
8.प्रजापति विश्वकर्मा: - इनका वर्णन वृहद वशिष्ठ पुराण मे मुलता है। इनकी जन्म माध शुक्ला त्रयोदशी को लिखा है।
9. कश्यप- विश्वकर्मा :- मूल स्तम्भ पुराण मे इनका विस्तृत वर्णन मिलता है। इनका जन्म मार्ग शिर्श शुक्ला पूर्णमाशी को हुआ था।
10. ब्रह्म कुलोत्पन्न विश्वकर्मा :- इनका विस्तृत विवरण ब्रह्म वैवर्त पुराण मे लिखा है। इनका जन्म चैत्र शुक्ला प्रतिपदा को हुआ था।
अंगिरा त्वष्टा विश्वकर्मा ब्रह्म भुवन आदि एक नाम के अनेक अवतार युग-युग मे हुए है। जैसे कि वर्तमान युग मे भी देखने को मिलता है कि एक नाम के अनेक पुरुष है।तमान युग मे भी देखने को मिलता है कि एक नाम के अनेक पुरुष है।
उपरोक्त विश्वकर्माओं के अलावा और ऋषि और महर्षि भी विश्वकर्मा त्वष्टा आचार्य और शिल्पी तथा शिल्पाचार्य या देव शिल्पाचार्य के नाम से प्रसिद्ध हुए | दैवज्ञ और शिल्पी के लिए भी विश्वकर्मा शब्द का प्रयोग खुलकर किया गया है।